The Ultimate Guide To Shodashi

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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥

Many terrific beings have worshipped areas of Shodashi. The great sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali in the course of his whole daily life, and at its fruits, he paid homage to Shodashi via his have spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in observing the divine in all beings, and especially his lifestyle spouse.

चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं

ह्रीं‍मन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं

Immediately after eleven rosaries on the primary working day of starting Along with the Mantra, you may carry down the chanting to one rosary on a daily basis and chant eleven rosaries to the 11th working day, on the final working day of your respective chanting.

चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।

हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां मृडाम् ।

देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥

हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः

Goddess Lalita is worshipped via many rituals and procedures, Shodashi which include going to her temples, attending darshans and jagratas, and undertaking Sadhana for both worldly pleasures and liberation. Each and every Mahavidya, like Lalita, has a specific Yantra and Mantra for worship.

These gatherings are not just about unique spirituality but additionally about reinforcing the communal bonds by way of shared ordeals.

The Mahavidyas are a bunch of 10 goddesses that represent numerous elements of the divine feminine in Hinduism.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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